शोलांग वैली शर्दियों में
मनाली का मुख्य आकर्षण है अगर आप
स्नो लवर हैं तो
शोलांग वैली जरूर जाएँ। यहां पर आपको वो सब मिलेगा जो शायद आपको कहीं पर भी ना मिले यहां पर आपको सारी
एडवेंचर एक्टिविटी मिल जाती हैं।
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Enjoy skiing in Solang Valley |
जैसे
स्कीइंग, पैराग्लाइडिंग, ट्यूब राइडिंग, जिप लाइनिंग और आप यहां
रोपवे का मजा भी ले सकते हैं। अगर आपको
फोटोग्राफी का शौक है तो ये जगह आपके लिए किसी जन्नत से कम नहीं है।
शोलांग वैली मनाली से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यहां तक पहुंचने का रास्ता
व्यास नदी के किनारे से होकर निकलता है।
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Sports field Solang Valley |
इस सारे रास्ते में आपको कभी ना भूलने वाले नजारे मिलेंगे एक तरफ
व्यास नदी और ऊंचे ऊंचे बर्फ से ढके पहाडों को देखकर
ओह माई गॉड वाला एहसास आपके मुंह से बरबस ही निकला जाएगा। जब आप रास्ते में बर्फ की सफेद चादर ओढे अनेकों
क्रिसमस ट्रीज को देखोगे तो आपके मुंह से एकाएक ही निकलेगा
भाई सफर का मजा आ गया।
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Beautiful Solang Valley |
जब आप
शोलांग वैली के नजारों को देखोगे तो लगेगा मानो स्वर्ग में आ गए हों
शोलांग वैली से थोडा ऊपर एक
शिव मंदिर भी है परंतु शार्दियों में वहां पर अत्यधिक बर्फ होने की वजह से वहां पहुंचना थोडा मुश्किल है।
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Lord Shiva Temple Solang Valley |
लेकिन अगर वहां का रास्ता खुला हो तो जरूर जाएं। मंदिर के पास एक
शिवलिंग है जिसपर पहाड के ऊपर से झरना गिरता है। जिसे देखकर लगता है कि जैसे
देवता ही शंकर भगवान का जलाभिषेक कर रहे हैं और जो नजारे आपको इस
मंदिर से दिखाई देंगे उनसे आप दंग रह जाएंगे।
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Beautiful view from Shiv mandir Solang Valley |
शोलांग वैली में आपको किसी भी चीज की कोई भी कमी नहीं रहेगी खाने के लिए यहां पर बहुत से
फास्ट फूड स्टाल मिल जाएंगे जहां पर आप
मैगी और
मोमोज का आनंद ले सकते हैं और कुछ
छोटे होटल भी हैं जहां आप खाना भी खा सकते हैं अगर आप यहां रुकना चाहते हैं तो यहां पर आपको कुछ
गेस्ट हाउस भी मिल जाएंगे।
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Beautiful view Solang Manali road |
अगर आप यहां पर
बर्फ में मस्ती करना चाहते हैं तो आप किराये पर
स्नो ड्रेस ले लें जिससे आपके कपडे और जूते गीले नहीं होंगे और हां जब जूते ले तो ध्यान रखें कि जूते नीचे से घिसे हुए ना हों नहीं तो आपके पैरों की हालत तो ठंड से खराब हो ही जाएगी साथ में फिसलने का डर रहता है जिससे आपको चोट भी लग सकती है। यहां पर पहुंचने के लिए
मनाली के माल रोड से
प्राइवेट और
शेयर्ड टैक्सी उपलब्ध है परंतु मे आपको
बाईक रेंट पर लेने का रिकमेंड करूंगा क्योंकि
बाईक का अपना अलग ही मजा है।
मालरोड
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Mall Road Manali |
मालरोड मनाली की मुख्य मार्केट है आप यहाँ पर से सभी तरह का सामान खरीद सकते हैं खासकर यहां आपको
ऊंनी और
ट्रेडिशनल सामान की दुकानें देखने को मिलेंगी। कहते हैं की
मनाली की शाम अपने आप में अनोखी होती है शाम के वक्त यहां की मार्केट में आपको
पर्यटकों की बहुत चहल- पहल देखने को मिलेगी यहां के
वातावरण में आपको यहां के
जंगली फूलों और
सेब के बगीचों से छनकर आती
सुगंधित हवाएं आपको मंत्रमुग्ध कर देगी। चारों तरफ
ऊंचे- ऊंचे पहाड होने की वजह से यहां पर उजाला देर से होता है और अंधेरा जल्दी होता है।
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Manali Forest |
मनाली में आपको रुकने के लिए सभी बजट के होटल आसानी से मिल जाएंगे इसमें आपको कोई भी दिक्कत होने वाली नहीं है और खाने के लिए भी आपको आसानी से काफी वेराइटी मिल जाएंगी चाहे आप
वेज खाओ या नोनवेज अगर आप होटल में नहीं खाना चाहते तो आपको
होमस्टे का ओपशन भी आसानी से मिल जाएगा।
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Beautiful mountain with snow |
कैसे जाएं
दिल्ली से मनाली के लिए आपको प्राइवेट और सरकारी बसें हर घन्टे निकलती हैं तो आप बस , टेक्सी या अपनी गाड़ी से आराम से जा सकते हैं।
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5. बेस्ट अध्यात्मिक प्लेस मनीकरण
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Naina Devi temple Manikaran |
मुख्य जानकारी
समुद्र तल से
1700 मीटर की ऊंचाई और
कुल्लू से करीब
पैंतालीस किलोमीटर दूर मनीकरण को एक
अध्यात्मिक नगरी के रूप में जाना जाता है परंतु अब
मनीकरण ट्रेकिंग के शौकीन लोगों की पसंद भी बनता जा रहा है। यहां का मुख्य आकर्षण एक ही जगह पर
शिव मंदिर और गुरुद्वारा हैं और दूसरा आकर्षण यहां पर हर जगह
गर्म पानी के कुण्ड हैं जहाँ से हमेशा
गर्म पानी निकलता रहता है।
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Beautiful view of Manikaran |
शिव मंदिर के अन्दर के कुण्ड का पानी तो इतना गर्म होता है कि गुरुद्वारे के लंगर का प्रसाद इसी कुण्ड में बनता है यहां पर चावलों को बड़े-बड़े पतीलों में भरकर रख दिया जाता है और कुछ ही देर में चावल बनकर तैयार हो जाते हैं जिसे गुरुद्वारे के लंगर में लोगों को खिलाया जाता है।
यहां निकलने वाले गर्म पानी के बारे में एक
पौराणिक लोककथा भी प्रचलित है जो
ब्राहम्ण पुराण में वर्णित है एक बार भगवान शिव माता पार्वती के साथ इस स्थान पर भ्रमण करते हुए आए और इस स्थान की सुंदरता को देखते हुए 11000 वर्षों तक यहां पर निवास किया और तपस्या में लीन रहे एक दिन माता पार्वती जलक्रीडा कर रहीं थी तो उनके कान के आभूषण की मणी जल में गिर गई और पाताल लोक में चली गई|
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Spiritual place Manikaran |
तब भगवान शिव ने अपने गणों को मणी ढूंढने के लिए भेजा जब मणी उनको भी नहीं मिली तो भगवान शिव को क्रोध का गया और उन्होंने अपना तीसरा नेत्र खोला तो सारा ब्रह्माण्ड कांपने लगा सारे देवता भयभीत हो गए तभी भगवान शिव तीसरे नेत्र से माता नैना भगवती प्रकट हुई आज भी मणिकरण गांव के बीच में माता नैना भगवती का भव्य मंदिर और रथ आज भी विराजमान है
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Latest popular trekking place Manikaran |
जिसे आप देख सकते हैं।
तब माता नैना ने पाताल लोक जाकर शेषनाग को मणी के बारे में बताया तो शेषनाग ने एक जोर की फूंकार मारी तो एक गर्म पानी का फुआरा ऊपर पृथ्वी पर आया और साथ में मणी के साथ और भी बहुत सारी मणी भी ऊपर आ गई माता पार्वती ने अपनी मणी ली और बाकी सारी मणियों को पत्थर बनने का श्राप दे दिया और तब जाकर भगवान शंकर का क्रोध शांत हुआ तभी से इस जगह का नाम मणिकरण पड गया। भगवान शंकर और माता पार्वती की तपस्थली होने के कारण इस स्थान को पुरानों में भी अर्थ नारी क्षेत्र कहा गया है।
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Beautiful mountain view Manikaran |
भगवान शंकर को यह स्थान इतना प्रिय है कि उन्होंने काशी में अपने स्थान का नाम
मणिकार्निका घाट रखा है।
महाभारत काल में
देवराज इन्द्र द्वारा अर्जुन को दिए गए पशुपतास्त्र चलाने के लिए अर्जुन की परीक्षा लेने के लिए भील का रूप बनाकर इसी स्थान पर अर्जुन से युद्ध किया था और उन्हें वरदान दिये थे। माणकर्ण के गर्म कुण्डों में एका हुआ अन्न खाने से और कुण्डों में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और बहुत से रोग ठीक हो जाते हैं।
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Best spiritual place Manikaran |
यह तीर्थ सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाला है बहुत से ऋषि मुनियों ने यहां पर तपस्या करके अनेक प्रकार की सिद्धियां प्राप्त की है भगवान शंकर की महिमा के प्रत्यक्ष प्रतीक के रूप में भूमिगत किसी अज्ञात अद्भुद शक्ति के कारण मणिकर्ण में जगह-जगह पर उबलते हुए पानी तपमान 88°c से 94°c के फव्वारे दर्शकों का मन मोह लेते हैं।
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Gurudwara Manikaran |
इस अद्भुद देवीय लीला की देखकर पत्थर हृदय वाला नास्तिक भी भगवान के प्रति आस्थावान हुए बिना नहीं रह सकता इन उष्णधाराओं के दैविक अध्यात्मिक और भौतिक गुण किसी से छिपे हुए नहीं हैं यहां के गर्म जल में स्नान करने से जन्म जन्मांतर के पाती धुलते ही है अपितु इस भौतिक शरीर के अनेक रोग भी नष्ट हो जाते हैं।
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Beautiful mountain in bhuntar Manikaran road |
खास बात ये भी है कि हर जगह गर्म पानी होते हुए भी यहाँ का मौसम काफी सुहावना रहता है और सर्दियों में तो यहां पर बर्फबारी होती है तो ठंड भी बहुत रहती है। यहां पर होटल बहुत ही सस्ते मिल जाते हैं और यहां के किसी भी होटल के बाथरूम में आपको गीजर नहीं मिलेगा लेकिन फिर भी यहां पर आपको गर्म पानी की कमी नहीं मिलेगी क्योंकि यहां पर हर जगह गर्म पानी है
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Parvati river Manikaran |
हां ठण्डे पानी की कमी हो सकती है वैसे पीने के लिए ठंडे पानी की कोई कमी नहीं है होटलों में आपको नहाने के लिए गर्म पानी के कुण्ड आसानी से मिल जाते हैं।
मणिकर्ण एक
छोटा सा कस्बा है लेकिन है
बहुत खूबसूरत और खाने के लिए भी काफी
रीजनेवल प्राइस में अच्छा खाना मिल जाता है। यहां पर एक
छोटी सी मार्केट भी है जहां से आप
ड्राइफ्रूट और गिफ्ट खरीद सकते हैं।
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Parking gurudwara Manikaran |
कैसे जाएं
दिल्ली से मणिकर्ण के लिए कुछ सीधी बसें भी हैं नहीं तो टेक्सी या फिर अपनी खुद की गाड़ी से तो आप कभी भी जा सकते हो।
6. धर्मशाला
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Beautiful view dharmshala |
मुख्य जानकारी
धर्मशाला हिमाचल प्रदेश की शीतकालीन राजधानी है धर्मशाला हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है हिमाचल प्रदेश में कुल 12 जिले हैं और कांगड़ा जनसंख्या की दृष्टि से इनमें सबसे बड़ा है और जो अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है और
कांगड़ा जिले में स्थित हैं एक बहुत ही
सुंदर शहर धर्मशाला और इसके आसपास इतनी खूबसूरत जगह हैं जिनको आप
स्विटजरलैंड और स्कॉटलैंड से कम्पेयर कर सकते हैं तो आइये जानते हैं
धर्मशाला के बारे में।
धर्मशाला को भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 100 स्मार्ट सिटी की लिस्ट में शामिल किया है।
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Beautiful mountain forest dharmshala |
धर्मशाला कांगड़ा जिले का मुख्यालय भी है इसके एक तरफ
घूलाधार पर्वत श्रृंखला है तो दूसरी तरफ
उपजाऊ पर्वत घाटी शिवालिक पर्वत श्रृंखला है। सन् 1815 से 1847 में अंग्रेजों द्वारा बसाए गए 82 हिल स्टेशनों में धर्मशाला का प्रमुख स्थान है यहां का
सूर्यास्थ भी
बहुत प्रसिद्ध है।
धर्मशाला में प्रवेश करते ही
वार मैंमोरियल भी देखने के लिए बहुत शानदार है जो
भारत चीन युद्ध में और
भारत पाकिस्तान युद्ध में
सैनिक शहीद हुए थे ये
वार मेमोरियल उन्हीं
सैनिकों की याद में बनाया गया है।
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Beeji park war memorial |
धर्मशाला को
दो भागों में विभाजित किया गया है निचली धर्मशाला और ऊपरी धर्मशाला ऊपरी धर्मशाला को मैक्लोडगंज कहते हैं। समुद्र तल से 1830 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मैक्लोडगंज एक छोटा सा कस्बा है जहां पर होटल दुकानें और सडक किनारे लगने वाले बाजार सब कुछ है यहां का प्रमुख आकर्षण दलाई लामा का मंदिर है यहां पर शाक मुनि, लोकेतेश्वर और पदमशंभु की सुंदर मूर्तियां स्थापित हैं इसके साथ साथ नामग्याल मोनेस्ट्री भी मशहूर है। यहां पर भारत और तिब्बतीय संस्कृति का अनुठा संगम देखने को मिलता है। यहां पर तिब्बती संस्कृति को रिप्रेजेंट करती एक लाइब्रेरी भी स्थित है।
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Dalhousie top view |
मार्च से जुलाई के बीच यहां पर सबसे ज्यादा
सैलानी आते है क्योंकि इस समय यहां का मौसम बहुत सुहावना रहता है। यहां पर दूर दूर तक फैली
हरियाली और ऊंचे नीचे और
टेढे घुमावदार रास्ते ट्रेकिंग के शौकिनों को आपनी ओर बरबस ही खींच लेते हैं। यहां की सुंदरता का तो कोई जवाब ही नहीं है।
दिसम्बर से फरवरी के बीच आप यहां
स्नोफॉल का मजा भी ले सकते हैं यहाँ की
प्राकृतिक सुंदरता और देवदार के घने जंगल आपका मन मोह लेगी।
कहते हैं कि अगर देश में ही विदेश का मजा लेना हो तो
मैकलोडगंज जरूर जाएं जिसे
मिनी स्कॉटलैंड भी कहते हैं। यहां पर स्थित
सैंट जोंस चर्च भी बहुत मशहूर है जो कि
अंग्रेजों ने अपने शासनकाल में बनवाया था देवदार के लंबे लंबे पेडों के बीच में स्थित यह चर्च बहुत ही सुंदर है।
धर्मशाला और
मैक्लोडगंज में आपको रहने और खाने की कोई भी परेशानी नहीं होगी। यहां पर आपको अच्छे होटल और
स्वादिष्ट खाना बहुत कम दाम में मिल जाएगा। कब जाएं वैसे तो आप यहां पर सारा साल जा सकते हैं परंतु यहां पर
मार्च से जुलाई का समय सबसे बेस्ट माना जाता है।
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Dharmshala city |
कैसे जाएं
अगर आप हवाई मार्ग से जाना चाहते हैं तो गग्गल एयरपोर्ट धर्मशाला से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। एयरपोर्ट से आप टेक्सी हायर कर सकते हैं। धर्मशाला से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट है जो धर्मशाला से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। और सडक के रास्ते धर्मशाला देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है तो आप सडक के रास्ते बस, टेक्सी और अपनी गाड़ी से भी जा सकते हैं।
7. डलहौजी
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Dalhousie city |
मुख्य जानकारी
डलहौजी पांच पहाडों पर 2000 मीटर की ऊंचाई पर बसा बहुत ही
खूबसूरत कस्बा है।
डलहौजी में वो सब है जो शायद आपको किसी अन्य
हिल स्टेशन पर ना मिले।
मार्च से जून का महिना
डलहौजी घूमने का सबसे अच्छा माना जाता है अगर आपको बर्फ और बर्फ से खेलना पसंद है तो आप
दिसम्बर से फरवरी के बीच भी आ सकते हो और हो सकता है आपको
स्नोफॉल देखने का मौका मिल जाए।
डलहौजी में आप कहां कहां घूम सकते हो:-
बी. जी. पार्क
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Beeji park |
गांधी चौक से काला टॉप के रास्ते में स्थित आर्मी फोर्सेज को डेडीकेटेड बी. जी. पार्क को जरूर देखें यहां पर आप मिग फाइटर, टी टेंक, मिसाइल और अन्य वार इक्युपमेंट रखे हुए हैं इस पार्क को डलहौजी पब्लिक स्कूल ने बनवाया है और इसका रखरखाव किया है खास बात ये है कि ये पार्क आम जनता के लिए खुला है।
काला टॉप वाइल्डलाइफ सेंचुरी:-
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Kala top wildlife sanctuary |
कालाटॉप में व्हीकल की एंट्री फीस 250 रुपये है और पार्किंग के लिए 100 रुपये अलग से देने होंगे। एंट्री पाइंट से सेंचुरी का रास्ता 3 किलोमीटर का है जिसे आप अपनी गाड़ी से भी पार कर सकते हैं और ट्रेकिंग करके भी जिसका अपना अलग ही मजा है ये रास्ता देवदार और चीड के घने जंगल से होकर निकलता है। जिसमें पेडों से छनकर आती सूरज की धूप और ठंडी ठंडी हवा दिल में एक अलग ही सुकून और शांति भर देती है।
जो लोग शहर की भागदौड से दूर शांति की तलाश में यहां आते हैं उनके लिए तो यह किसी जन्नत से कम नहीं है। सेंचुरी में देखने के लिए कुछ खास तो नहीं मिलेगा लेकिन जो 3 किलोमीटर का रास्ता है वो आपको मिस नहीं करना चाहिए क्योंकि ये रास्ता आपकी सारी टेंशन और तनाव दूर कर देगा। काला टॉप की दूसरी तरफ एक रास्ता खज्जियार की तरफ जाता है जहाँ से आप ऐन्ट्री पाइंट से फोरेस्ट विभाग की परमिशन लेकर गाइड की मदद से ट्रेकिंग करके खज्जियार पहुंच सकते हैं।
देनकुण्ड पीक:-
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Denkund peak |
समुद्र तल से 2755 मीटर की ऊंचाई पर स्थित देनकुण्ड पीक डलहौजी का सबसे हाईऐस्ट पाइंट है। यहां पहुंचने के लिए आपको थोड़ी ट्रेकिंग करनी पड़ेगी लेकिन इस ट्रेकिंग में आपको दिल खुश करने वाले इतने सुंदर और मनोरम दृष्य देखने को मिलेंगे की आप सारी दुनियां को ही भूल जाएंगे देनकुण्ड पीक से आपको हिमाल्य और वैलियों का 360॰ व्यूह देखने को मिलता है। दिसम्बर से जुलाई के बीच यहां आपको बर्फ देखने को मिल जाएगी।
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Top view from denkund peak |
पास ही मिल्ट्री बेस होने की वजह से यहां पर फोटोग्राफी वर्जित है। सबसे ऊंचा पाइंट होने की वजह से पीर पंजाल और धौलाधार माउन्टेन रेंज का बहुत ही सुंदर व्यूह देखने को मिलेंगे पर इसके लिए आपको 600 मीटर की खड़ी चढ़ाई और फिर मंदिर के लिए 900 मीटर की ट्रेकिंग करनी पड़ती है।
Khajjiar lake from denkund peak |
यहां आने से पहले एक बार इंटरनेट पर मौसम जरूर चेक कर लें क्योंकि यहां पर धुंध होगी तो आपको सुंदर व्यूह देखने को नहीं मिलेंगे अगर मौसम साफ हो तो आप यहां से खज्जियार लेक को भी साफ देख सकते हैं। अगर आप देनकुण्ड जाएं तो आप पोहलानी माता मंदिर भी जरूर जाएं क्योंकि यहां के छोटे से ट्रेक में बहुत ही सुंदर नजारे देखने को मिलेंगे।
खज्जियार लेक:-
डलहौजी का मुख्य पर्यटन स्थल खज्जियार लेक ही है। डलहौजी घूमने आने वाले पर्यटक सबसे ज्यादा यहीं पर आते हैं। यह लेक चारों तरफ से देवदार के घने जंगलों से घिरी हुई है। ऊंचे नीचे पहाडों के बीच हरे भरे घास के मैदानों पर तो किसी का भी दिल आ जाए।
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खज्जियार को ऐसे ही नहीं मिनी स्वीटजरलैंड कहते हैं। खज्जियार के चारों तरफ घास के मैदान हैं जो झील की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं। यहां पर जाने का सबसे अच्छा टाइम दोपहर का है क्योंकि सुबह के टाइम यहां पर बहुत भीड रहती है तो आपका सारा टाइम पार्किंग को ढूंढने में और फोटो खींचने के लिए अच्छी लोकेशन को ढूंढने में ही निकल जाएगा।
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Khajjiar lake |
मजेदार बात तो ये है कि पहाडों में जहां पर रास्ते भी सीधे नहीं मिलते वहीं लेक के पास इतने बडे घास के मैदान मिलना किसी जन्नत से कम नहीं हैं जो आपकी फैमिली पिकनिक को और भी मजेदार बना देते हैं।
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Khajjiar lake top view |
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Khajji Nag Temple |
सर्दियों में झील और आस पास मौजूद घास के मैदान बर्फ से ढक जाते हैं तो उस टाइम यहां पर पहुंचना थोड़ा मुश्किल होता है। यहां पर आप बहुत सी एडवेंचर स्पोर्ट एक्टीविटी कर सकते हैं जैसे स्कीइंग, होर्स राइडिंग, पैराग्लाइडिंग, जोर्बिंग आदि। यहां पर आपको बहुत से पहाड़ी लोग भी अपने जानवरों की चराते हुए दिखाई देंगे। यहां पास ही 800 साल पुराना खज्जी नाग मंदिर है तो आप वहां जाना ना भूलिएगा जो आज भी बहुत सुंदर है।
डलहौजी टाउन:-
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Dalhousie city |
डलहौजी टाउन में घूमने के लिए बाईक सबसे अच्छा जरिया है क्योंकि यहां पर ज्यादातर रोड वन वे ट्रेफिक हैं और बाइक यहां पर आपको रेन्ट पर आसानी से मिल जाएगी। डलहौजी में चार चर्च है 1. सेंट जोंस चर्च 2. सेंट एंड्रयू 3. सेंट पैट्रिक 4. सेंट फ्रांसिस।
सेंट जोंस चर्च
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Beautiful st. John church |
देखने में आपको शायद इतना खास पसंद ना आए पर इसकी एक अपनी अलग हिस्टोरिकल पहचान है।1863 में बना यह चर्च डलहौजी का सबसे पहला चर्च है। 150 साल के बाद आज भी यह चर्च बहुत ही अच्छी कन्डीशन में मैंनटेन किया हुआ है। प्रोटेस्टन मिश्नरी द्वारा बनाया गया यह चर्च साईज में छोटा बेशक है पर यहां पर सबसे ज्यादा सैलानी इसे देखने के लिए आते हैं। ब्रिटिश काल की बेहतरीन तस्वीरें चर्च की लाइब्रेरी में मौजूद हैं जिन्हें आप देख सकते हो।
सेंट फ्रांसिस चर्च
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Beautiful st. Fransis church |
कैथोलिक स्टाइल में बना बहुत ही सुंदर और शांत चर्च है जो चारों तरफ से देवदार के पेडों से घिरा हुआ है इस चर्च का मुख्य आकर्षण इसकी काफी बडी चर्च बेल और जीसस की लाईफ के इम्पोर्टेंट इवेंट के स्कल्पचर्स जो कि सारे रास्ते में बने हुए हैं। सौ साल पुराना होने के बावजूद भी यह चर्च काफी अच्छी कंडीशन में मेंनटेन्ड है।
पन्चपुला जीपीओ
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Punjpula G P O |
डलहौजी से तीन किलोमीटर की दूरी पर बना हुआ है जो कि सरदार अजीत सिंह जी के आइकोनिक मैमोरियल से पहचाना जा सकता है। झरने की धारा पर बने पांच छोटे छोटे पुलों की वजह से इस जगह का नाम पंचपुला पड़ा है।
यह पिकनिक स्पॉट एडवेंचर लवर्स के लिए है यहां पर आप जिप लाइनिंग, रॉक क्लाइंबिंग, बर्मा ब्रिज रेपलिंग और रिवर क्रॉसिंग जैसे एडवेंचर एक्टिविटी कर सकते हैं। यहां जिप लाइनिंग दो पार्ट में बनी है जो झरने के ऊपर से वैलीज का ब्यूटीफुल व्यूह दिखाते हुए ले जाती है।
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Punjpula |
ये वाटर फॉल कोई ज्यादा बड़ा नहीं है पर पंचपुला से थोडा ऊपर सबधारा वाटर फॉल है जहां पर थोड़ी ट्रैकिंग करके पहुंचा जा सकता है और रास्ते में कुछ कैफे भी है। जहां पर हल्का फुल्का नास्ता किया जा सकता है। और शाम के वक्ता गांधी चौक की गरम सडक पर घूमने का मजा ही अलग है। जहां पर आप तरह तरह के स्ट्रीट फूड का मजा ले सकते हैं।
कैसे जाएं
यहां पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट है जो डलहौजी से 84 किलोमीटर है जहां से आप बस या टेक्सी से 3 से 4 घण्टे में डलहौजी पहुंच सकते हैं।
8.लाहौल स्पीति
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Lahol Spiti |
मुख्य जानकारी
लाहौल स्पीती हिमाचल प्रदेश की सबसे ठंडी और सबसे ऊंची जगह पर स्थित है जो कि
हिमालय रेंज में है।
हिमाचल प्रदेश के
12 जिलों में
लाहौल स्पीती क्षेत्रफल कि दृष्टि से सबसे बड़ा है जो लगभग
13883 स्क्वायर किलोमीटर में फैला है।
लाहौल स्पीती हिमाचल के उत्तर में स्थित है।
लाहौल स्पीती के पूर्व में
तिब्बत होने की वजह से यहां का
रहन सहन और
संस्कृति लद्दाख और
तिब्बत के जैसा है यहां की ज्यादातर आबादी भी
बौद्ध धर्म को मानने वाली है इसलिए इसे छोटा
तिब्बत भी कहते हैं।
लाहौल स्पीती अत्यन्त ठंडी जगह है जहां पर सर्दियों में तापमान
माइनस चालीस डिग्री तक चला जाता है इसलिए
लाहौल स्पीती करीब छह महीने तक सडक मार्ग से देश से लगभग कट जाता है। यहां पर सारा साल बर्फ रहती है फिर भीकुछ लोग तो सर्दियों में भी यहां पर
विंटर एडवेंचर का मजा लेने पहुंच जाते हैं एडवेंचर के शौकिनों के लिए यह सबसे फेवरिट जगह ह।
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Beautiful Lahol Spiti |
यहां पर जनसंख्या घनत्व लगभग दो व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।
लाहौल और
स्पीती दो अलग अलग क्षेत्र हैं परंतु दोनो की भौगोलिक प्रष्टभूमि और जलवायु एक जैसी है। जिसका जिला मुख्यालय
भागा नदी के किनारे और मनाली लेह राजमार्ग पर स्थित केलांग सिटी है।
लाहौल और
स्पीती दो अलग अलग नदी प्रवाह तंत्र में फैले भूभाग हैं और यहाँ की
प्रमुख नदी चंद्रभागा और
स्पीती नदी हैं।
लाहौल में
चंद्रभागा नदी का फ्लो पूर्व से पश्चिम की ओर है और
स्पीती में
स्पीती नदी का फ्लो पश्चिम से पूर्व की ओर है। लाहौल स्पीती के पश्चिमी भू भाग को लाहौल कहते हैं। और पूर्वी भू भाग को
स्पीती कहते हैं।
लाहौल घाटी
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Lahol valley |
लाहौल क्षेत्र की दो प्रमुख
नदियां हैं
चंद्र और
भागा।
चंद्र नदी चंद्रताल से और
भागा नदी सूर्यताल से निकलकर
तांडी नामक जगह पर मिलकर
चेनाब नदी बनती है जो आगे चलकर
जम्मु कश्मीर होते हुए
पाकिस्तान में जाकर
झेलम नदी में मिल जाती है।
लाहौल घाटी का प्रमुख शहर
कैलांग है। जहां पर
कुल्लु मनाली से
रोहतांग, ग्रांफू होते हुए
कैलांग शहर पहुंचा जा सकता है। लाहौल घाटी के कुछ
प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं जहां जहां पर हर साल लाखों देश विदेश से
पर्यटक घूमने के लिए आते हैं और यहां पर गर्मियों में ही जाया जा सकता है।
चंद्रताल लेक
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Chandertal Lake |
चंद्रताल लेक समुद्र तल से
4300 मी की ऊंचाई पर स्थित बहुत ही
खूबसूरत झील है। इसकी लंबाई एक किलोमीटर और चौड़ाई आधा किलोमीटर है इसकी बनावट
चंद्रमा के जैसी होने के कारण ही इसका नाम
चंद्रताल पड़ा है। यह झील ट्रेकिंग और कैंपिंग बाले साहसी
पर्यटकों का
फेवरिट डेस्टिनेशन है। इस झील का पानी इतना साफ है कि ये किसी आइने के जैसी दिखाई देती है। यहां का शांत वातावरण में आकर आप अपनी सारी परेशानीयों को भूल जाओगे।
सूरजताल लेक
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Suraj tal lake |
यह लेक समुद्र तल से लगभग
5000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसलिए यह भारत की तीसरी सबसे ऊंची झील है। इस झील का जल
पवित्र माना जाता है। इस झील को
सूर्य भगवान की झील भी कहते हैं। यह
झील सुंदर तो है ही इसका
धार्मिक महत्व भी है।
यह झील
बारालाच्ला पास के नजदीक होने से
लेह जाने वाले
पर्यटक इसकी खूबसूरती को देखकर अपने आप इसके पास खिंचे चले आते हैं। यह झील
ट्रेकिंग और
बाईक ट्रिप के लिए बहुत लोकप्रिय है। ऊंचाई ज्यादा होने की वजह से यहां आक्सीजन की कमी है तो जिनको सांस की कोई तकलीफ है तो वो लोग यहां जाने से परहेज करें। यहां का सबसे नजदीकी शहर
दार्चा है।
बारालाच्ला
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Baralachla pass |
बारालाच्ला एक
पर्वतीय दर्रा है जो
लेह मनाली हाइवे पर
लाहौल वैली और
झंस्कार रेंज के महम
लद्दाक को
हिमाचल से जोडता है।
बारालाचला पास की ऊंचाई
समुद्र तल से लगभग
5000 मीटर है। यहां पर सारा साल बर्फ जमी रहती है।
बारालाचला पास हिमालय के
खतरनाक दर्रों में से एक है जो कि साल में सिर्फ
पांच महिने ही खुला रहता है।
लाहौल घाटी में और भी कई खूबसूरत जगह हैं जहां घूमने के लिए जा सकते हैं जैसे:-
दार्चा, जिस्पा, सिस्सु, छत्रु और
बाटल।
स्पीती घाटी
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Spiti Valley |
लाहौल स्पीती घाटी का पूर्वी भू भाग
स्पीती घाटी के अंतर्गत आता है।
स्पीती नदी इस क्षेत्र की प्रमुख नदी है जो कुंजुम पास से निकलते हुए
काजा, धनकर, तबो, नाको से निकलते हुए
कहब नामक जगह पर
सतलुज नदी से मिल जाती है।
स्पीती वैली का प्रमुख शहर
काजा है जहां पर
शिमला से
नारकंडा, कल्पा, सुमदो और
तबो के रास्ते नेशनल
हाइवे 5 और
505 होते हुए
स्पीती घाटी के
काजा पहुँचा जा सकता है।
लाहौल घाटी की अपेक्षा
स्पीती घाटी में
पर्यटक सर्दियों में भी जाते रहते हैं।
नेशनल हाइवे 5 और 505 के रास्ते में इतने सुंदर नजारे हैं जो देखने वालों का मन मोह लेते हैं।
स्पीती क्षेत्र में बहुत से
युनिक डेस्टिनेशन हैं जो अपनी अलग पहचान रखते हैं।
कुंजुम पास
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Kunjum pass |
कुंजुम पास हिमालय के मेजर
माउंटेन पासों में से एक है जो
लाहौल घाटी को स्पीति घाटी से जोड़ता है। इसकी
समुद्रतल से ऊंचाई लगभग
4590 मीटर है इस
पर्वतीय दर्रे पर
कुंजुम माता का मंदिर है जहाँ पर
स्पीती घाटी जाने वाले
पर्यटक शीश झुकाने के बाद ही आगे जाते हैं।
यह
माउंटेन पास लाहौल और स्पीती के बीच
नेशनल हाइवे 505 पर स्थित है। शर्दियों में
भारी बर्फबारी होने के कारण इसे बंद कर दिया जाता है। इसके
पश्चिम में चंद्र नदी और
पूर्व में स्पीती नदी बहती है इसे
स्पीती घाटी का
प्रवेश द्वार भी कहते हैं।
किब्बर
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Kibber |
समुद्रतल से
4205 मीटर की ऊंचाई पर स्थित
पहाडी गांव किब्बर अपनी
प्राकृतिक सुंदरता और
मठों के लिए जाना जाता है। इसकी सुंदरता इसके वैभव में निहित है। यह
गांव सबसे अधिक ऊंचाई पर बसा
मोटरेबल गांव है। और इसे
दुनियां का
सबसे ऊंचा गांव के नाम से भी जाना जाता है। इस
गांव की
सुंदरता और यहां के
प्राकृतिक नजारे आपका मन मोह लेंगे।
यहां तीन जगह बहुत मशहूर हैं एक
की मोनेस्ट्री जो यहां का
सबसे बड़ा मठ है। जो
समुद्र तल से 13500 फीट की ऊंचाई पर एक
शंकुआकार चट्टान पर बना हुआ है। इस
मठ पर 19 वीं शताब्दी में
सिक्खों और
डोगरा राजाओं ने
आक्रमण किया था इसके अलावा यह
मठ 1975 के
भूकम्प में भी सुरक्षित रहा था। दूसरी
किब्बर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी जो इस क्षेत्र में लगभग
1400 स्क्वायर किलोमीटर के एरिया में फैला हुआ है।
यह भारत का
एकमात्र वन्य जीव अभ्यारणय है जो
ठंडे रेगिस्तान में स्थित है जोकि
1992 में बनाया गया था।
चीचम ब्रिज किब्बर गांव से थोडा आगे
चीचम गांव की ओर
स्पीति नदी पर बना यह
ब्रिज 2017 में
साढ़े पांच करोड की लागत से बनकर तैयार हुआ था। यह
ब्रिज एशिया का सबसे ऊंचाई पर बना
रिवर ब्रिज है।
पिन वैली नेशनल पार्क
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Pin valley national park |
675 स्क्वायर किलोमीटर में फैला
पिन वैली नेशनता पार्क हिमाचल प्रदेश का
एक मात्र नेशनल पार्क है जो
ठंडे रेगिस्तान में स्थित है।
इसे
1987 में स्थापित किया गया था। इस
पार्क की
प्रमुख नदी पिन रिवर है इस पार्क में
जंगली जानवरों की
बीस से अधिक प्रजाती पायी जाती हैं और यह पार्क बहुत ही रेयर
हिम तेंदुए के संरक्षण के लिए भी जाना जाता है। यह क्षेत्र
औषधीय जड़ी बूटियों और
मशालों में समृद्ध है और करीब
1700 लोगों की आबादी वाले इस पार्क की
परधी में 17 गांव बसे हुए हैं।
धनकर मोनेस्ट्री और लेक
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Dhankar monestry |
स्पीती वैली में
तबो और काजा शहर के बीच
3870 मीटर की ऊंचाई पर बसा
प्राचीन गांव है धनकर जो
17 वीं शताब्दी में
स्पीती घाटी की राजधानी हुआ करता था।
धनकर मोनेस्ट्री बहुमंजिला इमारतों का एक
गढ़ हैं एक
किला है जो
सौ साल से भी पुराना एक
मठ है। यहां से
स्पीती और
पिनवैली का संगम दृष्य बहुत ही सुंदर नजारा पेश करता है।
धनकर मोनेस्ट्री से
धनकर लेक तीन किलोमीर की दूरी पर स्थित है जहां पर एक घंटे चलकर पहुंचा जा सकता है।
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Dhankar lake |
यहां आसमान में बादल पल पल अपना रुप बदलते रहते हैं जो कि
सुंदरता की एक अलग ही छटा बिखेरते हैं यहां का
नजारा आप कभी भूल नहीं पाएंगे।
स्पीती वैली में इस तरह की और भी सुंदर
टूरिस्ट स्पॉट हैं जी अपनी
प्राकृतिक सुंदरता से
पर्यटकों और
मुसाफिरों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं जैसे:-
तबो मोनेस्ट्री, कोमिक विलेज, हिक्किम विलेज और मड विलेज।
लाहौल स्पीती बहुत ही
विविधताओं वाला प्रदेश है जहां पर
बंजर पहाड बल खाती
नदियां जमा देने वाली हवाएं और चारों तरफ
प्राकृतिक सुंदरता बिखरी हुई है। यहां पर आने के लिए गर्मियों का मौसम ठीक रहता है। शार्दियों में यहां आने वाले सभी
पर्वतीय दर्रे भारी बर्फबारी के कारण बन्द हो जाते हैं।
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Beautiful pin valley National park |
फिर भी कुछ
बहादुर पर्यटक और
राइडर जोशीले अंदाज में यहां पर
विंटर एडवेंचर का मजा लेने आ ही जाते हैं जिसे कहते हैं
विटंर स्पीती जर्नी।
लाहौल स्पीती में
ए टी एम मेडिकल और
पेट्रोल पंप बहुत ही कम हैं
इसलिए यहां कैश मेडिसिन और अपनी गाड़ी में फ्यूल का स्टॉक करके चलें।
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